जाति-धर्म-पंथ 💝 आज की कविता 👇 *जात* जब हम किसी अनजान व्यक्ति से पूछते हैं कि "कौन धर्म जात हो ?" तो वो इस तरह से देखेगा जैसे पाकिस्तान भारत को देखता है । लेकिन वही व्यक्ति संविधान को आदर्श मानते हुए सरकार प्रपत्रों में बड़ी शान से कॉलम भरेगा ... फलां धर्म जात । जाति-धर्म पंथ को सबसे ज्यादा बढ़ावा नेताओं और कुछ धर्म के ठेकेदारों ने दिया है । एक छुटभैय्ए नेता से बातचीत के अंशों को कविता रुप में प्रस्तुत करने की कोशिश..... # जात # जात जो देखन मैं चला जात न मिलया कोय जात भ्रम के कारनै एक न रहया कोय ।