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White अमूमन मैं अपने ख्वाब अपनी औकात में देखता हू

White अमूमन मैं अपने ख्वाब 
अपनी औकात में देखता हूं: 
पर ना जानें क्यों,
 तुम्हे अपने साथ देखता हूं !

देखने को मैं भी देखूं 
तेरे गाल, आँख, होंठ और चेहरा; 
पर ना जानें क्यों,
 मैं तेरे हाथ देखता हूं !

मैं सो कर उठू तो 
देखने को पड़ा है सारा शहर 
पर ना जानें क्यों 
मैं चढ़े दिन में तेरे ख्वाब देखता हूं

©बोलती दीवार #GoodNight  love poetry in hindi hindi poetry on life
White अमूमन मैं अपने ख्वाब 
अपनी औकात में देखता हूं: 
पर ना जानें क्यों,
 तुम्हे अपने साथ देखता हूं !

देखने को मैं भी देखूं 
तेरे गाल, आँख, होंठ और चेहरा; 
पर ना जानें क्यों,
 मैं तेरे हाथ देखता हूं !

मैं सो कर उठू तो 
देखने को पड़ा है सारा शहर 
पर ना जानें क्यों 
मैं चढ़े दिन में तेरे ख्वाब देखता हूं

©बोलती दीवार #GoodNight  love poetry in hindi hindi poetry on life