नदिया पर्वत शज़र सदां ही, पर हित सृजित हुए जग में। दरिया दिल इंसान भलाई कर, पुनीत छाए जग में। बने यशस्वी बांट रहे सुख, कल्याण हेतु जन जीवन के जो! चँदा सूरज और सितारे, बनकर चमक रहे नभ में। 🎀 Challenge-184 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आप सभी को कोरा काग़ज़ समूह की तरफ़ से रमज़ान के इस पावन महीने की बहुत-बहुत मुबारकबाद। 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।