माना कि मेघनाद व कुंभ करण ने रावण का साथ दिया और अपने पुत्र व भाई होने का दायित्व निभाया, इस हेतु वे यश के पात्र हैं! उन्होंने बहुत जोर - शोर से अपना पक्ष रखा और विभीषण को बहुत गलत व बुरा ठहराया, लेकिन इस नजरिए से ये सब उचित ठहराने वाले ये क्यों नहीं सोचते कि _अगर उन्हें रावण का साथ देना चाहिए था तो क्या रावण को कुंभ करण व विभीषण की सही बात को नहीं मानना चाहिए था! एक - दो नहीं, सभी बड़े बुजुर्गों ने, शुभ चिंतकों ने उन्हें सीता को लौटा देने का आग्रह किया किन्तु रावण टस से मस नहीं हुआ, ऎसे में अगर रावण गलत नहीं तो विभीषण भी गलत नहीं! अगर इस बात को किसी भी दृष्टि से सही माना जाए तो, स्वाभाविक रूप से कोई भी व्यक्ति गलत रास्ते की ओर आसानी से जाता है और चूँकि गलत रास्ता, सही रास्ते से आसान ही होता है! अगर सभी गलत का साथ देकर अपने आपको सही साबित करने लग जाएं तो दुनिया में अपराधों की बाढ़ ही आ जाएगी! सच तो ये है कि विभीषण जैसे लोगों पर ही ये धरती टिकी है भले ही व्यक्तिगत स्वार्थ व सांसारिक लाभों के लिए कुछ भी कहा जाए!! #विभीषण का औचित्य #अपराधों की बाढ़ #17. 04.20