काँच सा दिल प्रेम कविता या विरह कविता ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण में पड़ना हैl मुझे तो हर कीमत पर, तेरा दीदार करना हैl×2 ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण पड़ना हैl मुझे तो हर सीमा पर, तेरा हक़दार बनना हैl×2 ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण में पड़ना हैl मुझे हर सामर्थ्य पर, तेरा पावर हाउस बनना हैl×2 ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण में पड़ना हैl ___________________ #Dil *प्रेम कविता या विरह कविता* ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण में पड़ना हैl मुझे तो हर कीमत पर, तेरा दीदार करना हैl×2 ना प्रेम करना आता है, ना आकर्षण पड़ना हैl