ऐ जिंदगी चल अब विदा दे। गुजरे हुए दिन की यादें भुला दे। कभी तन्हाइयो में थी मैं जनाजे के रूप मे ही सही मुझे लोगों से मिला दे। जिंदगी चल अब विदा दे। शिकायतो का दौर चल रहा है वो बहुत अच्छी थी ये बात सुना दे। जिदंगी चल अब विदा दे। हर मुमकिन कोशिश की सफ़र में मंजिल तक पहुंचने के लिए जानती हूं आख़िरी मंजिल यही है मुझे उस मंजिल से पहुंचा दे। थके हुए को सुला दे जिंदगी चल अब विदा दे। रूठे सपने ही सही रूठे अपने ही सही रूठी मौत से ही मिला दे। जिंदगी चल अब विदा दे। ©shreya upadhayaya #मौत