आज की संपन्नता विष बीज ऐसे बो गयी। छल फरेब की भावना एक दूजे की हो गयी स्वार्थता की आंधियां ऐसी चली इस देश में- सरल मन इंसान की इंसानियत ही खो गयी। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद ©rekha jain संपन्नता