तुम नगर निगम की जेसीबी.. मैं हूँ अवैध निर्माण प्रिये.. तुम चंचल गाय की प्रतिछाया.. मैं खुला घूमता सांड प्रिये.. तुम मन की बात सी मनमोहक.. मैं दम तोड़ता बेरोज़गार प्रिये.. तुम शेयर बाज़ार की कोलाहल.. मैं विकास का बंद किवाड़ प्रिये.. तुम ऊँचे महलों की रौनक.. मैं सड़ता हुआ कबाड़ प्रिये.. तुम मंदी की शीतलता हो.. मैं सपनों से खिलवाड़ प्रिये.. अब तुम ही बता दो ये हमको.. होगा कैसे ये प्यार प्रिये...!! #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛 ©VEER NIRVEL तुम नगर निगम की जेसीबी.. मैं हूँ अवैध निर्माण प्रिये.. तुम चंचल गाय की प्रतिछाया.. मैं खुला घूमता सांड प्रिये.. तुम मन की बात सी मनमोहक.. मैं दम तोड़ता बेरोज़गार प्रिये..