White #जीवन का वो दौर जब गेहूं से भरे कट्टे को कैरियर पर रखकर उसको पापा की साइकिल पर काली रबर की ट्यूब से गद्दी से होते हुए दो-तीन बार लपेटकर ठीक से सेट करना कोई आसान टास्क नहीं रहा,, खैर!! ये सब करने के बाद साइकिल को रोड पर संभालना और ज्यादा जटिल हो जाता था जब कैरियर के चिमटे कमजोर हों क्योंकि उस condition में वो भारी भरकम कट्टा इधर उधर लहराता था तो उसे साधने के लिए एक हाथ पीछे कर कट्टे का मुहँ पकड़ना पड़ता था,, चक्की करीब आधा किलोमीटर दूरी थी पर वो आधा किलोमीटर मील का पत्थर हो जैसे ऐसी लगती थी! अब जैसे तैसे चक्की पर पहुंचता तो वो चक्की वाले बड़के भैया पसीने में तर एक बार में खींचकर उतार देते थे पर साइकिल पूरी ट्रेन के पुल की तरह झंझना जाती थी! भैया ने कट्टा तोल दिया है और उसी पर 39 किलो 500 ग्राम पिंक स्याही से लिख दिया है,, पापा का नाम पल्ली तरफ लिखा हुआ है पहले से ही,, अब चलता हूं हवा खाता हुआ उसी खटारा साइकिल पे शर्ट के बटन खोले हुए मस्त एक दम ये सोचते हुए कि कल फिर इसे लेने आना है वाली टेंशन के साथ! ©Andy Mann #वो_सुनहरा_दौर अदनासा- Santosh Narwar Aligarh (9058141336) Dr. uvsays