गीत की रागिनी सी लगती हो रूप की स्वामिनी सी लगती हो गोरे तन पर यह नीलमा साड़ी नभ की मंदाकिनी सी लगती हो देखने में नई नई हो तुम फिर भी दिल में शामा गई हो तुम रूप जैसे गागर में सागर हो किस बिहारी की सतसई हो तुम देखने में नई नई हो तुम गीत की रागिनी सी लगती हो रूप की स्वामिनी सी लगती हो गोरे तन पर यह नीलमा साड़ी नभ की मंदाकिनी सी लगती हो देखने में नई नई हो तुम फिर भी दिल में शामा गई हो तुम रूप जैसे गागर में सागर हो किस बिहारी की सतसई हो तुम