वो जो तुझे हर बखत छू- छूकर गुज़रती है वज़ह यही है कि मेरी 'हवा' से नहीं बनती है तेरी जुल्फों को छेड़कर जब लटें उलझा देती है तुम्हें ख़बर भी है-'हवा' मुझे कितना जला देती है तेरे हट जाने के बाद मुझसे बड़ी-बड़ी फेंकता है ये 'आईना' किसकी इजाज़त से तुम्हें देखता है? हाँ ये तो है कि तुम्हें और खूबसूरत कर देता है.. लेकिन कमबख्त 'काजल' तुम्हारी आँखें भर देता है! हाथ आते तो बताता, किस्मत है नमक-हलालों की सुनो आजकल नज़र है तुम पर 'चांद के दलालों' की ©technocrat_sanam बखत =वक्त (time) चांद के दलाल =सितारे (stars ✨) Each 1st line is short expression and linked to the 2nd line.. 😇 खुन्नस.. वो जो तुझे हर बखत छू- छूकर गुज़रती है वज़ह यही है कि मेरी 'हवा' से नहीं बनती है