White (अटपटा सा है कुछ ) # आने वाली रूतों का खौफ,, बरहम ना रहे आंखो में ,, दस्त ए सेहरा में प्यास मैं बुझा लूं अपनी ,, गर मुझे,,अबकी बरसात में तुम मिलो ।। # मेरे सभी ऐब,,सभी खूबियां,,,एक एक कर बताऊं सभी को ,,सोचो फिर क्या बात बने ,, गर मुझे बात -बात में तुम मिलो ।। # मैं मुसाफिर तो नही हूं जो कभी लौट ना पाऊं,, खुर्द कस्बों से छोड़ दूं मैं निस्बत ,, गर मुझे अब की मुलाकात में तुम मिलो ।। # जाने कब से ये मुफलिसी ,,ये तंगहाली ,,पैर पसारे बैठी है जमीन पर मेरी ,, मैं भी घर अपना बना लूं,, गर मुझे उमर भर को काफी ज़कात में तुम मिलो ।। # दूर रहकर भी तू करीब कितना रहा है मेरे ,,मेरे हाल पर तरस आ ही जाए तुम्हे ,,गर मुझे मयखाने के बदतर हालात में तुम मिलो ।। # जाम पर जाम ,,खुद की पहचान गवाकर जाने निभा रहा हूं कब से ,,मैं भी इस झूठे उदासियों भरे किरदार से कर लूं तौबा ,, गर मुझे किसी हसीन रात में तुम मिलो । # मान लूं अपनों का कहा ,,और कर लूं इक सौदा जमात से ,,मैं शराब छोड़ दूंगा राणा अगर मुझे किसी सौगात में तुम मिलो । ©#शून्य राणा #शराब #मयकशी बाबा ब्राऊनबियर्ड "सीमा"अमन सिंह Vinod singh sijwali