Nojoto: Largest Storytelling Platform

कहीं किसी की याद सताये,कहीं किसी का मन तड़पाये। विर

कहीं किसी की याद सताये,कहीं किसी का मन तड़पाये।
विरह की आग ज्वाला बनकर, तन की ज्वाला और बढ़ाये।।
वर्षा का यह  रिमझिम पानी,अब लावा बनता जाता है ।
रात अकेली, तन्हा मन है,यह तन्हाई अब मुझे सताये ।।

©Shubham Bhardwaj
  #Khushiyaan #कहीं #किसी #की #याद #सताती