बेरुखी...........Nazm.(in caption) कभी रास्ता याद आए , तो आना मिलने। वो बूढ़ा कराहता-सा गेट और वो बूढ़ी दीवारें एक दूसरे का सहारा बन, अब भी खड़े हैं तेरे इंतज़ार में कि, कब तू आए , हाथ फेरे (प्यार से) और कहे,"मैं आ गई।।" बगीचे में खिले फूल, वो तेरे यार ; जो जी उठते थे तेरी खुशबू से; अब खिलते हैं, महकते नहीं।।