यूँ ही तकल्लुफ़ में आई दावत हमारी दिल से ना मुझको वो ख़ास बुलायी । दो टुकड़े में बँटी हुई है तस्वीर हमारी जुड़े से भी ना बदलेगी तकदीर हमारी । ख़ास #क़लम_ए_ख़ास