सूरज लेकर फुलकारी फिर नई धूप की आया है खिड़की पर दे कर के दस्तक थोड़ा सा मुस्काया है संग उसके नीलम आकाश ख़्वाब ख़्वाब सा चहक रहा तपी रूई की खूशबू से वो सिरहाने पर महक रहा आँखों ने भी नया नज़रिया मूँद के पलकें पाया है सूरज लेकर फुलकारी फिर नई धूप की आया है अंधेरे एक राज़ है गहरा जिसे रौशनी ढाँके है ज्ञान से जिनके पेट भरे है रूह में उनकी फाँकें हैं सागर है ये कितना गहरा कौन पता कर पाया है सूरज लेकर फुलकारी फिर नई धूप की आया है पीर पैगम्बर चले गए, और जाने कितने आएँगे वही सबक और वही बात वो फिर आकर दोहराएँगे अना मील जब मिट्टी में तब ख़ुदी ख़ुदा का साया है सूरज लेकर फुलकारी फिर नई धूप की आया है मोह खुल्द का माया है, किसने उसको पाया है मर मर के जो जिया है उसका, मर कर जीना जाय है है खुली हथेली में जो तेरी वो तेरा सरमाया है सूरज लेकर फुलकारी फिर नई धूप की आया है फुलकारी @ उदासियाँ ©Mo k sh K an फुलकारी #उदासियाँ_the_journey #Zen #mokshkan #moments_of_mindfullness