पिता! तेरी दुआओं के साये में पनाह पाती हैं मनमर्ज़ियाँ तेरी सोच की तह में ही बनता गया नक़्शा मुस्तक़बिल का तेरी सोच ने ही हमारी समझ को बुलंदी बख़्शी और ख़यालों के ख़ूबसूरत गुलदस्ते काग़ज़ों पर ढलते गए # पिता! तेरी दुआओं की दयानतदारी