आज़ का दौर ऐसा हैं समय सही इंसान ग़लत हैं हरवक्त मनमानियां करता हैं स्पष्टता नही,शब्दों के जाल बुनता हैं दिल से रिश्ता नही किसीसे सिर्फ़ मतलब बनाए रखता हैं जीना तो बहूत चाहता हैं पर जीने के मायने नहीं जानता हैं. 👉 जेआर बिश्नोई 'आशिक' के चैलेंज पर collab बनाकर done लिखे। ध्यान दे- done दुसरा लेखक लिखेगा। 👉दोनों लेखकों की रचना बराबर सुन्दर व सुव्यवस्थित होनी चाहिये । Note समय- आज शाम 4 बजे तक दोनो विषय के शब्द रचना में प्रयोग करना जरुरी नही है।