एक सफर फिर बेसबब चला टुकड़ा टुकड़ा हर मकसद चला.. मैं उलझता रहा आवारगी से इतना बेफिक्री में इश्क-ए-मजहब चला.. अभी बहुत कुछ बाँकी है मुझमें ऐ-दोस्त तू उजाड़ कर मुझे किस तरफ चला? ये रास्ते फिर मिलाएंगे हमें जरूर बाग-ए-दिल इस उम्मीद में महक चला.. मेरी तनहाइयों में भी पसरा है रौनकों का शोर, इक सन्नाटा दिल में फिर दहक चला.. #दहक #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqtales #yq #yqdiary