जाहीर हो जाए वो दर्द कैसा , खामोशी ना समझ पाए वो हमदर्द कैसा ! ✍:-लवकुश जाहीर हो जाए वो दर्द कैसा , खामोशी ना समझ पाए वो हमदर्द कैसा !