मैं किसान मुझे भी धूप छाँव का एहसास होता है मिट्टी से खेल कर भी रोज खुशियों से दीदार होता है मैं किसान मुझे भी गरीबी का एहसास होता है पर खेतों में काम कर ही ,मेरे चेहरे पर मुस्कान होता है मैं किसान मुझे उस समय हैरानी होती है ,,,,जब मेरी पसीने की कमाई ,सरकार कौडियों के दाम लगाती हैं मैं किसान मुझे उस वक्त दर्द होता है जब सम्मान मुझे नहीं ,पैसे वालों को दिया जाता है #किसानn #नवरचना 👉6 से 8 पंक्तियों में ' किसान ' ( पर आधारित ) पर अपनी रचना करें । हमारी टीम द्वारा पंक्तियों को 6 से 8 के बीच करना रचनाकारों को स्वतंत्रित करना है । 👉@ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें । 👉11:30 pm तक आपको रचना पोस्ट कर दें । 👉यह एक काव्य प्रतियोगिता है जिसमें कवियों को एक विषय दिया जायेगा जिससे सम्बंधित नियम उस विषय के caption में रहेगा । 👉@ प्रतिदिन एक रचना को विजयी घोषित किया जायेगा तथा नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम यदि दो रचनाओं में विभेद नहीं कर पाती है तो दोनों रचनाओं को सामान रूप से विजयी घोषित किया जायेगा । 👉रचना का चुनाव बिना किसी भेदभाव के नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम करेगी जिसपर कोई आपत्ति नहीं कर सकता ।