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*********अपूर्ण********** कितना कुछ अपूर्ण था जिंद

*********अपूर्ण**********
कितना कुछ अपूर्ण था जिंदगी में। 
बहुत सोच-सोचकर हिसाब लगाया।। 
तुम मेरे प्रेम के पूर्ण सागर थे। 
मेरा पहला प्यार,
 जिसके लिए मान-सम्मान सदैव 
हृदय में हैं। 
बस! तुमसे जो किया ,वह पवित्र प्रेम था। 
तुम्हारें संग जीवन के सारे रंग थे। 
एक तुम क्या मेरे जीवन से गये, 
मुझे हमेशा के लिए अपूर्ण कर गये। 
मेरे छोटे-छोटे "सपने "अपूर्ण, 
सपनों से सजा़ मेरा "घघर-संसार"अपूर्ण, 
तेरे-मेरे प्रेम का प्रतीक "प्रणय" अपूर्ण,
मेरे जीवन के सभी "तीज़-त्योहार", 
मेरे जीवन की "मुस्कान"
तू तो कहीं जाकर पूर्ण हैं 
पर मैं तो आज भी अपूर्ण हूँ
कितने साल, कितने महिने, कितने दिन
कितने पल बीत गये "मेरी अपूर्णता" को, 
एक बस तेरे इंतज़ार में। 
आजतक तेरे इंतज़ार में मैने
 "अपने-आप को "अपूर्ण ही रहने दिया। 
और लोग मुझसे मेरी ही 'अपूर्णता' का
 कारण पुछते रहें। 
आखिर कब तक मैं अपूर्ण रहूँ।

©Geeta Sharma pranay #अपूर्ण

#Light
*********अपूर्ण**********
कितना कुछ अपूर्ण था जिंदगी में। 
बहुत सोच-सोचकर हिसाब लगाया।। 
तुम मेरे प्रेम के पूर्ण सागर थे। 
मेरा पहला प्यार,
 जिसके लिए मान-सम्मान सदैव 
हृदय में हैं। 
बस! तुमसे जो किया ,वह पवित्र प्रेम था। 
तुम्हारें संग जीवन के सारे रंग थे। 
एक तुम क्या मेरे जीवन से गये, 
मुझे हमेशा के लिए अपूर्ण कर गये। 
मेरे छोटे-छोटे "सपने "अपूर्ण, 
सपनों से सजा़ मेरा "घघर-संसार"अपूर्ण, 
तेरे-मेरे प्रेम का प्रतीक "प्रणय" अपूर्ण,
मेरे जीवन के सभी "तीज़-त्योहार", 
मेरे जीवन की "मुस्कान"
तू तो कहीं जाकर पूर्ण हैं 
पर मैं तो आज भी अपूर्ण हूँ
कितने साल, कितने महिने, कितने दिन
कितने पल बीत गये "मेरी अपूर्णता" को, 
एक बस तेरे इंतज़ार में। 
आजतक तेरे इंतज़ार में मैने
 "अपने-आप को "अपूर्ण ही रहने दिया। 
और लोग मुझसे मेरी ही 'अपूर्णता' का
 कारण पुछते रहें। 
आखिर कब तक मैं अपूर्ण रहूँ।

©Geeta Sharma pranay #अपूर्ण

#Light