नज़रों के रास्तें उतर रहा है, दिल में कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. निशब्द रहती हूँ मैं, समझ रहा हैं मेरी खामोशियों को कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. अब पलकों को मेरी नींदे मयस्सर कहॉ,यादों में रात भर जगाता है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. कि बेगानों की भीड़ में तन्हा सा ऐहसास नहीं होता,अजनबी अपना सा लगने लगा है कोई आहिस्ता-आहिस्ता.. ©Chanchal Chaturvedi #आहिस्ता_आहिस्ता #Chanchal_mann #Shayari #poem #nazm #Dil #Tulips