जिस्म के बाज़ारों में। हवस की कतारों में खूबसूरती के उस नुमाइश में। पैसों की बारिश में।। परदे में हैवानियत को देखा है। मैंने ज़िंदा लाशों को।।। जिस्म फरोशी करते देखा.. मैंने इज़्ज़त के ठेकेदारों को।। बंद कमरे में इज़्ज़त उतारते देखा है। जिन्हें दिन के धुप में धुत्कारते।। उन्ही की बाँहों में रात गुज़ारते देखा है जिस्म बेचने पे उसे वैश्या बुलाते देखा है । हाँ मैंने खरीदार को "साहब "कहलाते देखा है।। मैंने ऐसे कई साहब को। अपनी ही औलाद को नाजायज़ बुलाते देखा है।। अपने हवस में कई मासूमों को इस जहन्नम में लाते देखा है। अजीब ह ये दुनिया ।। मैंने उनको भी आवारा कहते देखा है।। जिनको हर रात उन बदनाम गलियों से गुजरते देखा है। #nojotohindi