कलम मेरी जुबान थी वो कहती गयी... कागज हमसफर था मेरा उसने समेट लिया... मैंने सारी बातें उसे चुपके से सुनाई थी.. पर ना जाने कैसे वो सुबह का अखबार था... ©avinash upadhyay #कागजकलम #colours