बेखबर थे हम तो इस जहाँ से, उम्मीद न थी हमे भी कोई उठा लाएगा वहाँ से, था मेरा भी एक हसीन सपना, बजा अपनी मेहनत का बिगुल उसे बनाया था अपना, इस जहां में हमारा भी एक अंश था, सजा अपने आप को महकाया था इस जगत को, राहों में अनेक राहें मिली, पर जिद्द से मैने भी मंजिल हासिल की थी, अनेको मुदर्रिस से दीदार हुए, पर मै भी उनके ज्ञानप्रकाश से नहा कर आई थी, कई पुराणों मे घूम कर आने आई थी, हो उनसे लबरेज़ दीवानापन इनका छाया था 🎀 Challenge-212 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।