कभी यूँ ही जब संसार से थककर लौटता हूँ कुछ क्षण खुद मे, एक सुकूँ सा है वहाँ कहीं खाली सा घर है मुझ मे| घर है मेरा या मै ही घर हूँ क्या कहूँ! कुछ आता नही समझ मे, हाँ, एक शून्य सा विश्राम है वहाँ जो वो खाली घर है मुझ मे| थोड़ा ठहरकर और झाँक कर बता क्या तू भी रुका कभी उस जगह? है वहाँ सब कुछ मगर ,है तो है जाने कहाँ! एक गहरा सन्नाटा है चीखता कोई तो अपना है वहाँ| ©harshita Tamta #poemoftheday #eternity #shantipriya #fog