उच्छवास थे कोमल, शून्य थी हृदय की धारा। दामिनी सी आकर जब तुमने मुझ पर किंचित सा उजियारा बिखेरा। खिल गए कुसुम अंतर के स्वप्नों ने डाला डेरा चंचल मन विश्रामित हो गया, और ठहर गया जग सारा। ©Siddharth kushwaha #Light #skylight # #touchthesky