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श्लोक:– यमः कर्मफलदाता सर्वभूतानां, धर्मराजो निगदि

श्लोक:– यमः कर्मफलदाता सर्वभूतानां,
धर्मराजो निगदितो वैदिकेषु।
यमध्येष्ठो यमप्रभुः सनातनः,
अनादिमध्यान्तविहीनः प्रपञ्चे॥

अर्थ:
यमराज हर जीव के कर्मफल का दाता हैं,
वेदों में धर्मराज कहलाए गए हैं।
यमराज सर्वोपरि स्थित हैं, यमप्रभु हैं,
वे सनातन हैं, अनादि और अनंत हैं इस प्रपञ्च में॥

यह श्लोक यमराज के विषय में बताता है कि वे सभी प्राणियों के कर्मफल का नियंत्रण करने वाले हैं और वेदों में धर्मराज कहलाए गए हैं। यमराज सर्वोपरि स्थित हैं, वे सनातन हैं, अनादि हैं और प्रपञ्च में अनंत हैं। यह श्लोक यमराज की महत्ता और संसारिक स्थिति को व्यक्त करता है।

©YumRaaj YumPuri Wala
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