इल्जामो का दौर सुरु हुआ कुछ उसने लगाया , कुछ हमने लगाया दिल की बात दिल में ही रहने दिया , होंठों से कुछ और कहा ना जाने उसके दिल में है क्या महफिल में यू बदनाम कर दिया जब बैठी बात करने को , अजीब सी बेचैनी थी लिए थे जिसके साथ , सात फेरे उसके गले मिल कर रोना चाही तभी वहाँ...... अजीब सी बेगानी हवा चली , मानो वहा से मुहब्बत भाग चली आज भी मेरा मन रो कर रह गया , उसके बेगाने पन ने तोड़ दिया मेरे आँखो में नमी थी , आवाज में कपकपी थी लेकिन उसके दिल में जगह नही थी उत्तर की बारी आई , फिर से अलग होने की बारी आई हाथों को थोड़ा रगड़ा, होंठों को थोड़ा दबाया मागा सोचने के लिए वक्त , एक मुलाकात और मांग लाई - ✍ शालिनी सिंह Date - 03/09/2022 Mediation and Conciliation Centre के दौरान हुई पूरी प्रक्रिया को एक पत्नी अपनी भावनाओ को कुछ इस तरह कविता में ब्यक्त कर अपने दर्द को छिपा रही है.......... ©Shalini Singh Date - 03/09/2022 Mediation and Conciliation Centre के दौरान हुई पूरी प्रक्रिया को एक पत्नी अपनी भावनाओ को कुछ इस तरह कविता में ब्यक्त कर अपने दर्द को छिपा रही है.......... #Marriage