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जिंदगी हम तेरे मज़दूर, खुशियों से हैं कोसो दूर....

जिंदगी हम तेरे मज़दूर,
खुशियों से हैं कोसो दूर.....

"मन" की बात
भाग - 4

कृपया कैप्शन में ज़रूर पढ़ें ✍️✍️
🙏😊 शीर्षक - "मन" की बात
भाग - 4

जिंदगी हम तेरे मज़दूर,
खुशियों से हैं कोसो दूर।

न कोई साथी न सहारा,
हो गए जीवन से मजबूर।
जिंदगी हम तेरे मज़दूर,
खुशियों से हैं कोसो दूर.....

"मन" की बात
भाग - 4

कृपया कैप्शन में ज़रूर पढ़ें ✍️✍️
🙏😊 शीर्षक - "मन" की बात
भाग - 4

जिंदगी हम तेरे मज़दूर,
खुशियों से हैं कोसो दूर।

न कोई साथी न सहारा,
हो गए जीवन से मजबूर।