मुझे बहुत प्रिय था वो चहचहाना उसका कभी छत की मुंडेर पर कभी आँगन के पेड़ पर वो कभी एक कभी दो तिनका लेकर आती जगह उसे जो पसंद थी वहाँ तिनका रख जाती फिर देख मुझे यूँ ही चूँ चूँ चूँ कह कर जाती जैसे कह रही हो जरा खयाल रखना इनका इनसे मैं सपनो का शायद वो अपनो का महल जिसकी नींव रखी है मैने ख्याल रखना जरा सा मुझे बहुत प्रिय थी उसकी फुदकने की आदत वो घर में बिल्कुल आजाद जैसे वो उसका ख़ज़ाना हो ...(अनुशीर्षक में पढ़ें )... मुझे बहुत प्रिय था #प्रियथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #चहकना #उड़ान मुझे बहुत प्रिय था वो चहचहाना उसका कभी छत की मुंडेर पर कभी आँगन के पेड़ पर