*जीव हत्या करना मांस खाना अल्लाह का आदेश नहीं है* वर्तमान में सर्व मुसलमान समाज मांस खा रहे हैं नबी मुहम्मद जी परमात्मा की बहुत नेक आत्मा थीं। उन्होंने कभी मांस नहीं खाया, न अपने 1,80,000 शिष्यों को खाने को कहा। केवल रोजा ,बंग तथा नमाज किया करते थे गाय आदि को बिस्मिल (हत्या) नहीं करते थे "नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया, 1लाख 80 कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया। अरस कुरस पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली। वे पैगंबर पाक़ पुरुष थे, साहिब के अब्दाली।" फिर मुसलमान भाई निर्दोष जीवो की हत्या करके पाप के भागी क्यों बन रहे हैं..?? "मारी गऊ शब्द के तीरं ऐसे होते मुहम्मद पीरं।” मोहम्मद जी ने वचन से गाय मारी और वचन से ही जीवित कर दी। मुहम्मद जी जैसी भक्ति कोई मुसलमान नहीं कर सकता। मुहम्मद जी ने जब वचन की सिद्धि से मरी गाय जीवित की तो लोगों ने इसे पर्व का रूप दे दिया। दूधु दही घृत अंब्रित देती। निरमल जाकि काइआ। गोबरि जाके धरती सूची, सातै आणी गाइआ(गाय)।। मुसलमान गाय भखी, हिन्दु खाया सूअर गरीबदास दोनों दीन से, राम रहिमा दूर।। आज मुस्लिम और हिंदू दोनों ही मजहब निर्दोष जीवो की हत्या कर मांस का भक्षण कर रहे हैं जैसे हिंदू सूअर का मांस खा रहा है तो मुसलमान गाय बकरे आदि का मांस खा रहे हैं। अब इन दोनों मजहब से ही अल्लाह परमात्मा कोसों दूर हैं और यह दुगुने पाप बढ़ाकर नरक जाने की तैयारी कर रहे हैं। अर्थात इन सभी बातों से स्पष्ट है कि कुरान में मुसलमान समाज को बहुत दयालु, अहिंसावादी व्यक्तित्व विचारधारा वाला व्यक्ति बनने के लिए कहा गया है परंतु आज के समय में वे इन बेजुबान तथा निर्दोष जीवों को मारकर खा रहे हैं और अब मुसलमान समाज स्वयं विचार करें कि आखिर आप किस महापुरुष की अनुपालना करके इतना बड़ा महापाप कर रहे हैं। मुस्लिम धर्म के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए देखें- "साधना चैनल" 7:30 से 8:30 pm तक सत्य वचन