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सुनो ना... प्रेम को परिभाषित नही किया जा सकता....

सुनो ना...
प्रेम को परिभाषित 
नही किया जा सकता.... 
प्रेम बस प्रेम है
उसे महसूस करो 
उसे जियो.... कोई फर्क नही पड़ता 
फिर वो एक तरफा हो या दो तरफा
अगर दो तरफा है 
तो कहीं जायेगा नहीं
उसे उन्मुक्त छोड़ दो
उसे बंधन मत बनाओ 
वो कही नही जाएगा
और अगर चला गया तो समझो तुम्हारा था ही नही
अगर एकतरफा है और पुरी शिद्दत से है
तो आपकी तड़प उस
तक पहुंचेगी जरूर
और अगर वो तुम्हारे प्रेम को नही समझा
तो तुम्हारी शिद्दत के काबिल नहीं
आगे बढो़....कोई होगा कही और 
जो सिर्फ तुम्हारे लिए बना होगा 
मेरा मानना है 
प्रेम एक बार नहीं होता 
बार बार होता है
वो भी एक ही इन्सान से 
हर रोज़ होता है
उसकी छोटी-छोटी सी बात से होता 
उसके रोने हंसने
मुस्कान,से होता है
उसकी डांट और गुस्से से भी होता है
उसका हर दुःख अपना लगता है
प्रेम जीवन है उसे जियो उसमे खो कर 
पर पूरे होश में उन्मुक्त होकर.... ✍️💞
राधे राधे
nnhi sangu

©Pankaj HR Yadav
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