मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं, सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है -आलोक श्रीवास्तव शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था - असलम कोलसरी . ©Raushni Tripathi मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं, सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है -आलोक श्रीवास्तव शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था - असलम कोलसरी