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पता हैं.. मन्दिर की ढेर सारी सीढ़ियां चढ़ने के पश्

पता हैं..
मन्दिर की ढेर सारी
सीढ़ियां चढ़ने के पश्चात
भगवान के दर्शन प्राप्तकर ..
आत्मा में जो तृप्ति की अनुभूति होती है ,न..
बिल्कुल वही अनुभूति 
मुझे,
मात्र "आपको" देख लेने से होती हैं.. क्योंकि तुझमें रब दिखता है..
पता हैं..
मन्दिर की ढेर सारी
सीढ़ियां चढ़ने के पश्चात
भगवान के दर्शन प्राप्तकर ..
आत्मा में जो तृप्ति की अनुभूति होती है ,न..
बिल्कुल वही अनुभूति 
मुझे,
मात्र "आपको" देख लेने से होती हैं.. क्योंकि तुझमें रब दिखता है..