जिसने सितम खाए,जहां भर के है मेरे वास्ते। अब उसके ही तरफ जाते है,सब मेरे रास्ते। जिस हंसी पे जान देता,वो हंसी ही छिन ली। मैने उस से पल में,उसकी जिंदगी ही छिन ली। अब हु जिंदा सोचता,चुन लु मौत के रास्ते। जिसने सितम खाए,जहां भर के है मेरे वास्ते। मेरे लिए ही सजना उसका,मेरे लिए सिंगार था। मुझपे ही कुर्बान उसका,दिल में सारा प्यार था। घुट के जीता होगा वो,मालूम है मेरे वास्ते। जिसने सितम खाए,जहां भर के है मेरे वास्ते। बस यही है अब दुवा,उसका ही होके मैं मरूं। उसके बिन ये जिंदगी,लेकर भी राधे क्या करूं। बिन उसके मेरा दम घुटे,मर जाऊ उसके वास्ते। जिसने सितम खाए,जहां भर के है मेरे वास्ते। ©Anand S.....