3. और उस दिन ये हवेली हँस रही थी मौज में होश में आई तो कृष्णा थी पिता की गोद में जुड़ गई थी भीड़ जिसमें जोर था सैलाब था जो भी था अपनी सुनाने के लिए बेताब था बढ़ के मंगल ने कहा काका तू कैसे मौन है पूछ तो बेटी से आख़िर वो दरिंदा कौन है कोई हो संघर्ष से हम पाँव मोड़ेंगे नहीं कच्चा खा जाएँगे ज़िन्दा उनको छोडेंगे नहीं कैसे हो सकता है होनी कह के हम टाला करें और ये दुश्मन बहू-बेटी से मुँह काला करें बोला कृष्णा से बहन सो जा मेरे अनुरोध से बच नहीं सकता है वो पापी मेरे प्रतिशोध से... और उस दिन ये #हवेली हँस रही थी #मौज में होश में आई तो #कृष्णा थी पिता की गोद में जुड़ गई थी #भीड़ जिसमें जोर था #सैलाब था जो भी था अपनी सुनाने के लिए बेताब था बढ़ के मंगल ने कहा काका तू कैसे #मौन है पूछ तो #बेटी से आख़िर वो दरिंदा कौन है