नन्हीं सी गुड़िया है छोटी सी चिड़िया, हुआ जो अंधेरा तो धड़कने लगी जिया, ममता की छाँव नहीं माँ तेरा ठाँव नहीं, कैसे कटेगी भला दुःख भरी रतिया, नज़रों का तीर चले अपने पराये लगे, कदम-कदम पर देखो बैठा रे बहेलिया, घर में अकेलापन रिश्तों में सौतेलापन, साथ न कोई मेरे संग की सहेलिया, दर्द अपार लगे जीवन उधार लगे, हूक उठे दिल में फाटे मोरी छतिया, मन में उजाड़ लगे दुनिया बेज़ार लगे, कासे कहूँ ! कोई समझे न बतिया, 'गुंजन' हुआ विकल देख इस दर्द को, माटी की गुड़िया है सोने की चिड़िया, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #नन्हीं सी गुड़िया #