सोचा था कि नाराजगी ना जताएंगे पर सोचा ये ना था कि आवाज़ सुनते ही तुम्हारी जज़्बात सारे निकल आएंगे जाना कि हक नहीं है तुम पर तो नाराज़गी किस कदर पर इतने जज़्बात थे बंद कि चाह कर भी ना रोक पाए हम और तुमने फिर नहीं समझा मुझे तोड़ कर रख दिया फिर से मुझे पर अब बस हुआ यह सिलसिला फर्क ही नहीं पड़ता जब तुम्हें तो किस लिए यह शिकायतों का मामला। #stay_happyalways #शिकayat