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कांच ही तो हूं , टूटता हूं , बिखरता हूं हर पल अपन

कांच ही तो हूं , टूटता हूं , बिखरता हूं

हर पल अपनी , वजूद समेटता हूं  !!

©Kuldeep Shrivastava #वजूद
कांच ही तो हूं , टूटता हूं , बिखरता हूं

हर पल अपनी , वजूद समेटता हूं  !!

©Kuldeep Shrivastava #वजूद