"तेरी याद की ख़ुश्बू दिल में जब ठहरती है, प्यार की चांदनी हवा में रक्स करती है, तेरे लबों के हसीन तबस्सुम की कसम, मेरा दिल क्या रूह भी तुझ पे मरती है, जैसे-जैसे तुम गीली ज़ुल्फ़े झटकती हो, वैसे-वैसे फ़ज़ा में खुशबू सी बिखरती है, मेरी तो नींद लूटी है गम-ए-फ़िराक़ ने, वो शय है क्या जो तुम्हें जगाए रखती, है ये मेरी थकी, बे-ख़्वाब, बे-चैन सी नज़र, शब-ओ-रोज़ तेरा ही इंतिज़ार करती है, देखता हूं तुम्हे जब कभी रक़ीब के साथ, क्या बताऊँ मेरे दिल पे क्या गुज़रती है, 'जग्गी' शब की तन्हाई में अकेले बैठे अक्सर, गुफ्तगू तेरी तस्वीर से रहा करती है |" ©Jagjeet Singh Jaggi #jaggiquotes #priya_sethi_batra #Moon