पूछा किसीने की बताओ ज़िन्दगी कैसी चल रही है, ज़ज्बात मचल रहे हैं दिल में जुबाँ से दो बोल न फुट रही है। सबकुछ टूट चुका है अन्दर बाहर, कुछ न बचा रह गया है। फिर समेट न पाऊं ख़ुदको कभी, इसलिए टुकड़ों को बहाया जा रहा है।। इतनी लगी पड़ी है ज़िन्दगी की, की क्या बताऊँ यार गली का कुत्ता भी भौंकता है, तो लगता है एडवाइस दे रहा है।। ©Ajay पूछा किसीने की बताओ ज़िन्दगी कैसी चल रही है, ज़ज्बात मचल रहे हैं दिल में जुबाँ से दो बोल न फुट रही है। सबकुछ टूट चुका है अन्दर बाहर, कुछ न बचा रह गया है। फिर समेट न पाऊं ख़ुदको कभी,