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माँ की महिमा न्यारी, कौन है जहाँ में, जो माँ समान

माँ की महिमा न्यारी,
कौन है जहाँ में,
जो माँ समान प्यारी।

माँ जग में महान है,
अगर माँ नहीं है,
तो जगत शमशान है।

माँ मेरी रूठ गई,
लगता है मुझको,
सभी आस टूट गई।

माँ ऐसी होती है,
रोते अगर बच्चे,
तो माँ भी रोती है।

चाहे ये जग छूटे,
कुछ भी हो जाये,
मेरी माँ ना रूठे। प्रतियोगिता (BKJ-8)
विषय : माँ
काव्य विधा - माहिया छंद (5 माहिये लिखना है)
समय सीमा आज रात 10:00PM
दिनाँक : 31.10.2020
लिखने के बाद comment में done अवश्य लिखें
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विधा - माहिया छंद
माँ की महिमा न्यारी,
कौन है जहाँ में,
जो माँ समान प्यारी।

माँ जग में महान है,
अगर माँ नहीं है,
तो जगत शमशान है।

माँ मेरी रूठ गई,
लगता है मुझको,
सभी आस टूट गई।

माँ ऐसी होती है,
रोते अगर बच्चे,
तो माँ भी रोती है।

चाहे ये जग छूटे,
कुछ भी हो जाये,
मेरी माँ ना रूठे। प्रतियोगिता (BKJ-8)
विषय : माँ
काव्य विधा - माहिया छंद (5 माहिये लिखना है)
समय सीमा आज रात 10:00PM
दिनाँक : 31.10.2020
लिखने के बाद comment में done अवश्य लिखें
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विधा - माहिया छंद