जो जल रहे थे धूप में, देके अपनी छांव मुझे वो धूप में जलती पीठ जो थी, वो थे मेरे पापा जो हरदम खुदसे लड़ते थे, जो हर रोज थक कर मरते थे उस थकावट में भी जो मुझे, कंधे पे बिठके चलते थे वो थे मेरे पापा... ये मत कर, वहां मत जा,ये मत पी, वो मत खा हर छोटी से छोटी चीज की, नसीहत मेरे पापा जो खुद आधी रोटी खाके,मुझे भर पेट खिलाते वो भूखे रहने वाले पेट जो थे, वो थे मेरे पापा जिसपे आज खड़ा हूं मैं, वो जमीं भी है मेरे पापा जिस नभ में, मैं , उड़ सकू, वो आसमान भी है मेरे पापा फिक्र तो बिलकुल मां सी करते, पर कभी नहीं जताते थे कितना थक चुका हूं मैं,ये कभी नही बताते थे मुझको सुलाने के लिए, जागने वाले आंख भी थे मेरे पापा..... जो खुदसे पहले हमारी खैरियत की गुजारिश करते खुदा के सामने झुका के सर, हमारी गुनाहों की मगफिरत की सिफारिश करते जो हमारी दुआओं की कुबुलियत के लिए उठते है हाथ वो हाथ भी है मेरे पापा मेरी बस एक गुजारिश है रब से जो हो akhri शिफारिश, तो शिफारिश है रब से जो हो कोई अगला जन्म बाकी मेरा उस जन्म में जो बने मेरे पापा वो हो सिर्फ़ व सिर्फ़, मेरे पापा ©MD Shahadat #mdshahadat #FathersDay #poem #kavita #Papa #mere_papa #father