जब कुछ ना होगा तो हम होंगे, इस भीड़-भाड़ में हम कम होंगे। जब मिले ही हैं हम अनजान जैसे, कुछ बात तो कर लो शायद बन बैठें। ये राह जो तेरे घर को जाती है, कुछ राह बता दो जो मिले ही होंगे। जिस रास्ते से तुम गुज़रे हो, उस रास्ते पर कभी हम भी गुज़रे होंगे। जब वक्त की सुइयां बढ़ी होंगी, कहीं अनजान फूल खिले भी होंगे। जो मासूम सा दिल लिए फिरते, उस दिल ने किसी को याद किये होंगे। उस रोज बात ज़रा तुम कर लेना, कभी जिस बात से तुम-मैं,हम हुए होंगे। #bltr #pk_poetry