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एक मौसम को मैंने...— % & एक मौसम को बड़े करीब से म

एक मौसम को मैंने...— % & एक मौसम को बड़े करीब से महसूस किया है मैंने।
दिल को जब किसी बात की कोई फ़िक्र नही थी,
जिंदगी इतनी मुश्किल होगी इस बात की भनक नही थी।
जब पतझड़ में पत्तों का गिरना,बड़ा अच्छा लगा करता था।
जैसे स्वागत करने को, प्रकृति खुद फूल पत्ते बिछा रही हो।
अकेले सड़क पर पेड़ की छांव तले झूमना,साथ मिले ना मिले,
पर पेड़ों से हो रही पत्तों की बारिश मे घूमना,मनभावन लगता था।
फिर वक्त का एक पहलू गुज़रा और एक दिन ऐसा भी आया,
एक मौसम को मैंने...— % & एक मौसम को बड़े करीब से महसूस किया है मैंने।
दिल को जब किसी बात की कोई फ़िक्र नही थी,
जिंदगी इतनी मुश्किल होगी इस बात की भनक नही थी।
जब पतझड़ में पत्तों का गिरना,बड़ा अच्छा लगा करता था।
जैसे स्वागत करने को, प्रकृति खुद फूल पत्ते बिछा रही हो।
अकेले सड़क पर पेड़ की छांव तले झूमना,साथ मिले ना मिले,
पर पेड़ों से हो रही पत्तों की बारिश मे घूमना,मनभावन लगता था।
फिर वक्त का एक पहलू गुज़रा और एक दिन ऐसा भी आया,