जो मिलने को तरसती हो । जिस रिश्ते की अहमियत, सिर्फ ज़िस्म-परस्ती हो। साहिल की उम्मीद कैसी , जब जर-जर ही कश्ती हो। रिश्ते वहाँ नहीं रहते , जहाँ ज़ोर-ज़बरदस्ती हो। राहे-उल्फत मे"फिराक़", वफा से मौत, सस्ती हो। OPEN FOR COLLAB✨ #ATवोमोहब्बतहीक्या • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.