न मैं तुमको खोता ,न तुम मुझको खोते | अच्छा होता गर हम ,अच्छे दोस्त होते | कभी मैं कुछ सुनाता,कभी कुछ तुम सुनाते | कभी बैठकर सारे ,झगडे मिटाते | कभी मेरे दिल की बातें ,तुम अपनी जुवान से बताते | कभी आँखों को मेरी ,तुम अपनी आँखों से पढ़ पाते | कभी अश्कों से मेरे ,तुम अपनी पलके भिगोते | अच्छा होता गर हम ,अच्छे दोस्त होते | कभी हाँथ पकड़ कर मेरा ,बेखौप तुम चल पाते | कभी सामने सभी के ,तुम हक़ से हक़ जताते | कभी ख़ामोशी को मेरी ,तुम ख़ामोशी से समझ जाते | कभी परेशानियों से अपनी ,तुम डरकर सिमटजाते | कभी कंधे पर तुम मेरे , अपना सर रखकर सोते | अच्छा होता गर हम ,अच्छे दोस्त होते | achhe dost hote.. #NojotoPune