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आज खुद मे मै खुद की अल्फाज लिखती हूं जो आखों से नह

आज खुद मे मै खुद की अल्फाज लिखती हूं
जो आखों से नही दिखती वो जस्बत लिखती हूं
भीड़ भरी जिंदगी मैं कही तो खो रही हू।।
अपने जस्बत छिपा कर दूसरो के सपने पीरो रही हूं
हमेशा हंसने वाली चहरे मे
एक झूठी मुस्कान बस रही है।।
 कभी जो बाते मै खुल कर कहे देती थी
आज उन्ही बातो की अंदर सौगात चल रही है।।

©heartbeets5822..
  #Raat #khuch #lafz